सियार के मुंह में फंसी नन्ही बेटी को मां ने खींचा , बुरी तरह नोंच डाला मुंह ….
गौरव रक्षक/राजेन्द्र शर्मा
कोटा 9 नवंबर ।
यह बात सही सुनी थी बड़ों के मुंह से … की मां के सामने कोई माई का लाल नही, जो बच्चे को क्षति पहुंचा दे ।
बच्ची की मां से जानकारी मिली की, मैं भैंसों को संभाल रही थी, उन्हें चारा डाल रही थी। तभी बच्ची के रोने की आवाज आई। बच्ची मुझसे ज्यादा दूर नहीं थी। देखा तो (सियार) ने उसे जबड़े में दबा रखा था। मेरे होश उड़ गए, मैं बच्ची को छुड़ाने भागी , तो सियार बच्ची को जबड़े में दबाकर भागने लगा ।
यह सब कहते – कहते इटावा (कोटा) के झाडोल गांव की रहने वाली तुलसा बाई (33) के चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आते हैं। तुलसा की 6 महीने की बेटी बिसरता पर सियार ने घर में ही हमला कर दिया था। सिर जबड़ों में फंसा लिया और लेकर भागने लगा। मौत के मुंह मे छः महीने की बेटी को देख उसे बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।
बेटी को मौत के मुंह से खींचकर लाई । बताया गया की बुधवार दोपहर मेरे पति जोधराज काम पर गए थे। मैं भैसों को चारा डाल रही थी। उसे दूर कर तिवारी में बैठकर मेरी 6 महीने की बेटी बिसरता 2 साल की बहन पूर्ति के साथ बैठकर खेल रही थी। शाम को करीब 3.30 या 4 बजे की बात है।
घर का मेन दरवाजा जाली का है, जो खुला हुआ था। इसमें से ही सियार घर में जा घुसा और आते ही सीधा बिसरता पर हमला कर दिया। उसने बिसरता के सिर का आधा हिस्सा जबड़े में दबा लिया। बड़ी बेटी चिल्लाई, तो मैंने देखा और बचाने के लिए भागी।
मैंने पास में पड़ी लकड़ी उठाकर उस पर फेंकी , तो वह बच्ची को लेकर भागने लगा। मैं भी शोर मचाते हुए पीछे भागी। वह घर के आंगन में ही इधर उधर बेटी को मुंह मे दबाए दौड़ता रहा और मैं पीछे पीछे शोर मचाते हुए। इसके बाद वह बाहर बच्ची को लेकर निकल गया। मैं बाहर आई तो पड़ोस में रहने वाली एक औरत भी बाहर आ गयी। आते ही उसने भी पत्थर उठाकर सियार पर फेंका।
मैं सियार के सामने हो गई तो वह मेरी ओर दौड़ा। उस औरत ने एक लकड़ी फेंकी तो सियार रुका और वापस घर के दरवाजे की ओर जाने लगा। मैंने दौड़कर उसके पीछे की दोनों पैर पकड़कर उछाल दिया तो बेटी उसके मुंह से छिटक गई। मैने बेटी को संभाला। इतने में तो कई और लोग आ गए। इसके बाद सियार एक दूसरे मकान में घुस गया। जहां लोगों ने उसे मार दिया।
बाइक से लेकर पहुंचे इटावा अस्पताल बच्ची के सिर से खून निकल रहा था। जगह-जगह दांतों के निशान बने हुए थे और गहरे घाव थे। गांव के एक लड़के के साथ बाइक पर मैं बच्ची को गोद में लेकर इटावा अस्पताल पहुंची। वहां डॉक्टरों ने सिर पर पट्टी की और उसके बाद कोटा रेफर कर दिया। पति को भी फोन कर इटावा अस्पताल ही बुलाया। वहां से बच्ची को लेकर जेके लोन अस्पताल गए।
बेटी को देख रोना आ रहा, रो भी नहीं पा रही
बेटी की हालत को देख तुलसा कहती है कि बेटी को ऐसी हालत में देखकर मुझे रोना आ रहा है लेकिन मैं रो भी नहीं पा रही। गोद में लेकर बेटी को देखती हूं तो उसका चेहरा देखा नहीं जाता। वह 6 महीने की ही तो है इतना दर्द कैसे झेल पा रही होगी। पूरी रात रोते रोते गुजारी है। थोड़ी देर सो पाई मेरी बेटी।
बच्ची की स्थिति स्टेबल लेकिन डेंजरस, हाइड्रोफोबिया से बचाना जरूरी
बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के सिर पर काफी गहरे गांव भी है आंखों पर भी काफी घाव थे। शुरुआत पर तो ऐसा लगा कि बच्ची की आंख पूरी तरह से चली गई । हालांकि बाद में जब आंखों के डॉक्टर ने चेक किया तो थोड़ी राहत मिली है कि आंख बच जाएगी।
बच्ची की हालत स्टेबल है लेकिन ब्रेन के पास में गांव होने से डेंजरस भी है। घाव भरने में तो थोड़ा समय लगेगा, लेकिन बच्ची को हाइड्रोफोबिया से बचाना ज्यादा जरूरी है। उसके लिए इंजेक्शन भी लगाए जा रहे हैं ।
बच्ची की मां ने वाकई बहादुरी का काम किया है और अपने कलेजे के टुकड़े को मौत के मुंह से बचा कर लाई है । ऐसी मां को बार-बार सलाम।