1984 में PAK के खिलाफ लड़ते समय बर्फीले तूफान की चपेट में आये जवान चंद्रशेखर का शव 38 साल बाद  बंकर में मिला, 

0
456

1984 में PAK के खिलाफ लड़ते समय बर्फीले तूफान की चपेट में आये जवान चंद्रशेखर का शव 38 साल बाद  बंकर में मिला,

⚫आखिर भारत के वीर सपूत का शव मिल ही गया अब होगा दाह संस्कार
गौरव रक्षक/न्यूज नेटवर्क

15 अगस्त नई दिल्ली ।
सियाचिन में अपनी जान गंवाने वाले शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद मंगलवार को उनके घर पहुंचेगा। वे 19 कुमाऊं रेजिमेंट से जुड़े थे । 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान वे बर्फीले तूफान का शिकार हो गए थे। तब उनका शव नहीं मिल पाया था। तभी से उनकी तलाश की जा रही थी। 13 अगस्त को चंद्रशेखर का शव मिलने की सूचना उनके परिवार को दी गई। मंगलवार को उनकी बॉडी उत्तराखंड के हल्द्वानी लाई जाएगी, जहां सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शहादत के वक्त एक बेटी 8 तो दूसरी 4 साल की थी

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में द्वाराहाट के हाथीगुर बिंटा निवासी चंद्रशेखर उस वक्त 28 साल के थे। वे 15 दिसंबर 1971 को कुमांऊ रेजिमेंट केंद्र रानीखेत से भर्ती हुए थे। हरबोला की शहादत के समय उनकी बड़ी बेटी 8 साल की और छोटी बेटी करीब 4 साल की थी। उनकी पत्नी की उम्र 65 साल हो गई है। हालांकि, उनकी पत्नी का मानना था कि वे घर जरूर आएंगे।

16 हजार फीट की ऊंचाई पर चलाया गया था ऑपरेशन मेघदूत

1984 में सियाचिन के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई। भारतीय सेना ने 13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर में आपरेशन मेघदूत लॉन्च किया था। चंद्रशेखर उस टीम का हिस्सा थे, जिसे प्वाइंट 5965 पर कब्जा करने भेजा गया था। ​​​हिमस्खलन की चपेट में आने पर 19 सदस्यीय गश्ती दल लापता हो गया था। बाद में 14 के शव मिले, लेकिन 5 का पता नहीं चला।

सेना के दिए डिस्क नंबर से हुई पहचान

हाल ही में जब सियाचिन ग्लेशियर की बर्फ पिघलनी शुरू हुई, तो एक बार फिर खोए हुए सैनिकों की तलाश शुरू की गई। इसी कोशिश के दौरान 13 अगस्त को एक और सैनिक लान्स नायक चंद्रशेखर हरबोला का शव ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिला। हरबोला की पहचान में उनके डिस्क नंबर से हुई। यह वही नंबर है जो उन्हें सेना ने दिया था। हरबोला की डिस्क पर नंबर (4164584) लिखा हुआ है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here