सरकार ठोस निर्णय ले
खनन नीति में संशोधन करे एंव समान नियम रखे तो इसका हल निकाला जा सकता है ?
गौरव रक्षक / दिलीप मेहता
मांडलगढ़
भीलवाड़ा 5 जुलाई:
बिजौलियांं खनन क्षैत्र का पत्थर विश्व विख्यात हो गया है , लेकिन दुर्भाग्य कहा जायेगा कि युक्रेन व रूस की लडाई के बाद से ही इस पत्थर की चहल-कदमी थम सी गई है , जिसका खामियाजा यहां के व्यापारी मन मारते हुये सहन कर रहे है ।
अवैध खनन को लेकर सरकार को नीति स्पष्ट करनी चाहिए , जिन लोगो ने करोड़ों रूपये लगा रखे है और उनके पंचनामे से लेकर थाने में मुकदमे भी दर्ज हुये है , उस पर नियमों में शिथिलता देनी चाहिए । सरकार को चाहिए कि जिस तरह से जमीन पर लोगो का कब्जा है ,और उसी आधार पर सरकार नियम प्रक्रिया के तहत एक कमेटी के तहत जमीन अलॉट करती है उसी तर्ज पर अवैध खनन में जिनके पंचनामे बने हुये है उन्हीं लोगो के पक्ष में निर्णय करते हुये नियमानुसार निश्चित राशी लेकर अलॉट कर देना चाहिए जिससे अवैध खनन का नाम ही नहीं रहेगा । वहीं शेष खाली पडी बिलानाम जमीन पर खनन बाउंड्री बनाकर एक केटेगरी स्थानीय निवासियों की होनी चाहिए ताकी क्षैत्रवासियों को रोजगार मिल सके ।
अवैध खनन इसी क्षैत्र में नहीं पुरे देश में कहीं न कहीं अलग अलग रूप में चल रहा है जिसमें मिट्टी से लेकर पत्थर व अन्य खनिज भी शामिल है । सरकार को इस पर कोई ठोस निर्णय लेकर विचार करना होगा और स्थानीय समस्याओं को समझना पडेगा तभी जाकर पार पडेगा ।अवैध खनन कर्ता दोहरी मार से गुजर रहे है , और चर्चाओं में लाखो की जडाई और बंदर बांट की लडाई में उलझने के साथ साथ पंचनामे की मार भी सहन कर रहे है।
सरकार सोचकर इस पर कोई नीति गत फैसला ले तो समाधान हो सकता है और सरकार को इससे राजस्व की आय भी होगी ।
यह सब राजनेताओं एंव सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है ,जो एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उस रिपोर्ट पर कानून में संशोधन करते हुये इस पर विचार कर सकती है ।
इसके अलावा राजस्थान में सभी खनन क्षैत्रो में एक ही नियम समान रूप से लागू होने चाहिए ताकि परेशानी ना हो ।
बिजौलियांं खनन क्षैत्र के पत्थर की महिमा विदेश तक खुशबू बिखेर रही है , लेकिन अवैध खनन को लेकर चर्चाओं में भी रहती आई है । सरकार अवैध खनन पर विचार करते हुये पंचनामे वालो को प्राथमिकता के साथ निश्चित राशी सुनिश्चित कर अलॉट करे तो इसका समाधान निकाला जा सकता है।
सरकार इस पर कुछ करे या नहीं करे लेकिन यह मैरे विचार है बाकी किसी के विचार क्या होगें इसकी तो वो ही जाने या फिर राम ही जाने