अपंजीकृत और व्यवसायिक उपयोग में लिये जाने वाले ट्रेक्टर ट्रोलियों के विरूद्ध चलेगा धर-पकड़ अभियान
भीलवाड़ा, 10 जून। भीलवाड़ा जिले में लगभग 30500 ट्रैक्टर पंजीकृत है जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत ट्रेक्टरों वाहन स्वामियों के पास ट्रोलिया है जिनमें से भी एक अनुमान के अनुसार 80 प्रतिशत ट्रोलियों का व्यवसायिक प्रयोजन में उपयोग लिया जा रहा है तथा लगभग ऐसी सभी ट्रोलिया अपंजीकृत है।
जिला परिवहन अधिकारी डाॅ. श्री वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस हेतु सभी टैªक्टरों के वाहन स्वामियों को पूर्व में नोटिस परिवहन कार्यालय द्वारा जारी किये गये थे जिसके बाद कई ट्रेक्टर मालिकों ने ट्रोलियों का पंजीयन कराया है।
राजस्थान में भीलवाड़ा जिला ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां 55 से अधिक ट्रोली निर्माता है पूरे राज्य में यही से ट्राॅलिया बनाकर सप्लाई की जाती है। सभी ट्रेक्टर-ट्रोली स्वामियों से अपील की जाती है कि यदि किसी के पास अंपजीकृत ट्रोली है तो उसका रिनोवेशन ट्रोली निर्माताओं से करवाकर रिफ्लेक्टिव टेप एंव कलर के साथ चैचिस नम्बर दर्शाते हुए जीएसटी बिल प्राप्त करते हुए ट्रोली निर्माताओं से ही विक्रय प्रमाण पत्र, फार्म21, सड़क पर चलने का उपयुक्तता प्रमाण पत्र फार्म 22 सहित फार्म 20 में आवेदन कर सकते है।
इसके साथ ट्रेक्टर के दस्तावेज रजिस्ट्रेशन एंव बीमा तथा ट्रोली का बीमा भी प्रस्तुत करना होता है। ट्रैक्टर की कीमत का एक प्रतिशत आजीवन व्यावसयिक कर है तथा सरचार्ज लगभग 7 से 8 हजार आता है। ट्रोली पंजीयन की फीस, बीमा, टैक्स, ट्रोली बिल, जीएसटी आदि 20 से 22 हजार रूपये के व्यय पर आजीवन ट्रोली का व्यावसयिक उपयोग कर सकते है तथा अधिकृत बजरी लीजधारक खान से रवन्ना पर माल परिवहन कर सकते है।
विभाग द्वारा अपील की गई है कि जल्द से जल्द ट्रोलियों का पंजीयन करावे इसके लिए अलग से कार्यालय में विषेश टीम लगाई गई है इसके बाद पंजीयन न कराने पर परिवहन विभाग, पुलिस एवं खान विभाग के साथ धरपकड़ अभियान चलाया जायेगा।