डॉ. बी. आर. अंबेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा बुद्ध पुर्णिमा पर ‘लोक में बुद्ध और बौद्ध संस्कृति’ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन  

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डॉ. बी. आर. अंबेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा बुद्ध पुर्णिमा पर ‘लोक में बुद्ध और बौद्ध संस्कृति’ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन

कोवीड़ महामारी के दौर में बुद्ध का संदेश प्रासंगिक- प्रो. पी.सी.त्रिवेदी
दुखों का हरने का मार्ग महात्मा बुद्ध  ने बताया – प्रो. दामोदर मोरे

“महात्मा बुद्ध ने वैज्ञानिक सोच औऱ परीक्षण के आधार पर कार्य करने का संदेश दिया।  महात्मा बुद्ध ने अप्प दीपो भव: के संदेश के जरीये से स्वयं को जानने, पोगांपंत, कर्मकांड और अंधविश्वास के विरुद्ध तर्क और विज्ञान का मार्ग प्रदान किया है। यह मार्ग कोवीड़ महामारी से लड़ने का एक सशक्त हथियार है। यह विचार जेएनवीयू के कुलपति प्रो. प्रवीण चन्द्र त्रिवेदी ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर अध्ययन केन्द्र, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान बौद्ध विरासत एवं संस्कृति संवर्धन प्रतिष्ठान, अंबलिक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में प्रदान किए।
डॉ. बी. आर. अंबेडकर अध्ययन केन्द्र-जेएनवीयू के निदेशक डॉ. भरत कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय वेबीनार में प्रसिद्ध बौद्ध चितंक तथा मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दामोदर मोरे, डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सोसायटी के सह आचार्य डॉ. वरुण गुलाटी, महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय से डॉ. राजाराम, मदुरै विश्वविद्यालय के डॉ. माई राम आदि ने विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रीय वेबीनार में प्रो. दामोदर मोरे ने कहा ‘महात्मा बुद्ध ने प्राणी मात्र के दुख से हरने का संदेश प्रदान किया। बुद्ध का संदेश था कि ‘यह वक्त भी बदल जाएगा’ इसलिए बुरे दौर से घबराए नहीं तथा अच्छे वक्त पर इतराए नहीं,  बल्कि वर्तमान में जीवन जीने का प्रयास किया जाना चाहिए। वर्तमान और व्यक्ति ही सच्चाई है। इसे बेहतर बनाने के लिए हमें कार्य करना चाहिए। इस परिप्रेक्ष्य में हमें देखना होगा कि कोवीड़ महामारी का दौर भी बीत जाएगा। दया और करुणा भाव से हमें मानव मात्र की मदद करनी चाहिए तथा समानता के भाव से सबको अवसर मिलना चाहिए।
सामाजिक न्याय संदेश पत्रिका के संपादक डॉ. वरुण गुलाटी ने कहा कि महात्मा बुद्ध के पंचशील और अष्टागिंक मार्ग  नैतिक और कल्याणकारी जीवन दर्शन वर्तमान दौर में बेहद आवश्यक है। आपने कहा कि महात्मा बुद्ध के संदेश हर व्यक्ति को अवसरों, संसाधनों का अवसर बिना भेदभाव के प्रदान की जानी चाहिए। बौद्ध धर्म के इन सिद्धान्तों को बाबा साहेब ने भारतीय संविधान में स्थान प्रदान किया गया।
उपरोक्त वेबीनार के समन्वयक डॉ. विकास सिंह रहे तथा आयोजन सचिव डॉ. राजकुमारी रही। ‘लोक में बुद्ध और बौद्ध संस्कृति’ वेबीनार में भारत के विभिन्न प्रांत के विद्वानों ने स्थानीय रुप से प्रचलित बौद्ध संस्कृति तथा इतिहास पर अपने विचार व्यक्त किए। इस क्रम में महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय से डॉ. राजाराम, कुशीनगर से डॉ. विशम्भर नाथ प्रजापति, जेएनयू नई दिल्ली से डॉ. इंदु डिमोलिया, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से डॉ. माई राम, मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से डॉ. मीना शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ. रामकिशोर महोलिया, पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभा-बीएचयू वाराणसी से गोविन्द मीणा, मैत्री फाउडेंशन उड़ीसा से मानस बौद्ध, डॉ. सत्या मुदीता, अरविंद कालमा, सुनील पंवार, हरदीप बौद्ध, एक दिवसीय व्याख्यान में अपने विचार व्यक्त किए।

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