मासूम के साथ सड़कों पर कोरोना से लोगों को बचाने के लिए फर्ज निभा रही है, पुलिस की जवान नंदू पटेल
एक तरफ वो लोग है जो कोरोना महामारी के दौरान भी सरकार की गाइड लाइन मानने को तैयार नहीं, तो दूसरी तरफ राजस्थान पुलिस की एक महिला जवान जो अपने सात माह के मासूम बेटे को लेकर सख्त ड्यूटी पर मजबूती के साथ तैनात है.
भील कोर की यह महिला जवान अजमेर में लोगों से घरों में रह कर समय गुजारने की अपील कर रही है. बावजूद इसके कि उसे पता है कि कोरोना की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर मासूम बच्चों पर पड़ने वाला है.
अजमेर जिला कलेक्ट्रेट में तैनात यह राजस्थान पुलिस की जवान है नंदू पटेल. नंदू पटेल राजस्थान पुलिस की मेवाड़ भील कोर में तैनात हैं, जिसे वर्तमान में अजमेर जिले में नियुक्त किया गया है. यह बात सुनने में आपको तब तक ही अच्छी लगेगी, जब तक आप इस महिला जवान के वास्तविक हालातों से रूबरू नही होंगे. नंदू पटेल दरअसल डूंगरपुर की रहने वाली है, जिसकी गोद में हमेशा सात महीने का मासूम बेटा दीक्षित पटेल किलकारियां मारता रहता है. इस मासूम को नहीं पता कि यह किस खतरों से खेल रहा है? कोरोना जैसी भयानक महामारी के संक्रमण के खतरे के बावजूद नंदू पटेल अपने इस बेटे को गोद में लिए अपने राजकीय फर्ज को निभाने को मजबूर हैं.
बच्चे के साथ फर्ज को अंजाम
नंदू पटेल को पता है कि जिस फर्ज को वो सड़कों पर रह कर अंजाम दे रही है. हो सकता हे उसकी कीमत उसके मासूम बेटे की जान के रूप में चुकानी पड़े. बावजूद इसके नंदू पटेल का मानना है कि उसका फर्ज पहले है और परिवार की चिंता बाद में. नंदू पटेल शायद इस हार्ड ड्यूटी की आदि हो चुकी हैं. गत वर्ष भी कोरोना काल में नंदू पटेल ने आठ महीने की गर्भवती होने के बावजूद डूंगरपुर के सीमलवाडा में अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया था तो इस बार अपने घर से सेंकडो किलोमीटर दूर अजमेर में वो अपने फर्ज को अंजाम दे रही है.
सरकार से नहीं चाहती कोई रियायत
इतना सब होने के बावजूद नंदू पटेल अपनी ड्यूटी में सरकार से कोई रियायत नहीं चाहती, लेकिन उसकी आम लोगों से अपील जरुर है कि जब हम अपनी और अपने परिवार की जान संकट में डाल कर भी सड़कों पर तैनात है तो आप कम से कम हमारे बारे में सोच कर ही अपने घरो में सुरक्षित रहे ताकि आपका परिवार और पूरा समाज सुरक्षित रह सके.