RBI की कोरोना काल में लोन नहीं चुकाने वालों के लिए दो साल का मोरेटोरियम:कोरोना कर्फ्यू की वजह से EMI नहीं भर पा रहे हैं तो दो साल तक का मोरेटोरियम लें सकते है, समझिए क्या है स्कीम

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RBI की कोरोना काल में लोन नहीं चुकाने वालों के लिए दो साल का मोरेटोरियम:कोरोना कर्फ्यू की वजह से EMI नहीं भर पा रहे हैं तो दो साल तक का मोरेटोरियम लें सकते है, समझिए क्या है स्कीम:-

कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन है। इस कारण व्यापार जगत में व्यापारियों को बहुत घाटा हुआ है व्यापारियों द्वारा लिए लोन की मासिक किश्तें समय पर जमा नहीं हो पा रही है और उन्हें ब्याज पर ब्याज चुकाना पड़ रहा है हालाँकि कोरोना के केसों की संख्या घट रही है, फिर भी मई में तो लॉकडाउन नहीं हटने की संभावना नहीं है । कुछ राज्यों में तो जून तक लॉकडाउन बढ़ाने की तैयारी हो गई है। अगले दो तीन महीने बाज़ार में मंदी का दौर छाया रहेगाऔर जिन लोगों की इनकम पर इस लॉकडाउन ने असर डाला है, उनके लिए कर्ज की किस्तें (EMI) चुकाने में मुश्किलें आएंगी
ऐसे में ट्रांसपोर्टर्स से लेकर छोटे व्यापारियों की कई संस्थाओं तक ने लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने की मांग की है। यानी कुछ महीनों के लिए कर्ज पर EMI चुकाने से छूट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लग चुकी है। पिछले साल की परिस्थितियों से सबक लेते हुए रिजर्व बैंक ने उन व्यापारियों की मदद करने का फैसला किया है, जो वाकई में परेशानी में हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं, जिनकी आय पर कोरोना की दूसरी लहर को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन ने असर डाला है, तो RBI की स्कीम आपके और आपके कारोबार के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं आइए समझते हैं कि यह स्कीम क्या है? यह आपके लिए फायदेमंद है या नहीं? इसका लाभ आपको उठाना चाहिए या नहीं?
लोन मोरेटोरियम क्या है? इसका क्या लाभ है?
केंद्र सरकार ने पिछले साल मार्च में कोरोना को काबू करने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया था। सभी आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं। तब सरकार ने लोन मोरेटोरियम दिया था। मार्च से अगस्त 2020 तक कर्ज पर EMI चुकाने से छूट दी गई थी।
इस योजना का लाभ उन्हें मिला जिनकी आय पूरी तरह से बंद हो गई थी। अगर कोई कर्जदार निश्चित समय पर EMI नहीं चुकाता तो न केवल उस पर लगने वाला ब्याज बढ़ता है, बल्कि पेनाल्टी भी लगती है। क्रेडिट हिस्ट्री खराब होती है, जिससे भविष्य में बैंकों से कर्ज लेने में दिक्कत आती है। मोरेटोरियम ऐसे कर्जदारों की क्रेडिट हिस्ट्री को कायम रखते हुए रीपेमेंट न करने और निर्धारित पीरियड के लिए अपने लोन को रीस्ट्रक्चर करने की अनुमति देता है।
पिछले साल तो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर ब्याज पर ब्याज में भी छूट मिली थी। जिन लोगों ने EMI चुकाई, उन्हें ब्याज पर लगने वाले संभावित ब्याज का कैशबैक मिला था। रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त 2020 को बैंकों के लिए रेजोल्यूशन फ्रेमवर्क 1.0 जारी किया था। जो लोग वाकई में कोरोना की वजह से प्रभावित हुए, उन्हें अपने लोन का रीपेमेंट पीरियड दो साल तक बढ़ाने की छूट दी गई थी। इसके लिए 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन करना था।
क्या है RBI की नई स्कीम?
रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते 6 मई को रीस्ट्रक्चरिंग 2.0 प्लान की घोषणा की। 2.0 इसलिए क्योंकि पिछले साल RBI और सरकार ने 6 महीने का लोन मोरेटोरियम दिया था और उसके बाद रीस्ट्रक्चरिंग 1.0 प्लान घोषित हुआ था। इसमें बैंकों को लोन पीरियड दो साल बढ़ाने की अनुमति दी थी। रीस्ट्रक्चरिंग 2.0 पुरानी ही योजना का विस्तार है।
नई योजना में 25 करोड़ रुपए तक के व्यक्तिगत कर्जदार, छोटे कारोबार और एमएसएमई को राहत दी गई है। एक ही शर्त है कि 31 मार्च 2021 को लोन अकाउंट स्टैंडर्ड होना चाहिए। यानी उसमें किसी तरह का डिफॉल्ट नहीं होना चाहिए। इस प्लान के तहत कर्जदार को अपने बैंक से संपर्क करना होगा और वे दो साल तक का मोरेटोरियम ले सकेंगे। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2021 तय की गई है।



इसका क्या मतलब है?
अपने (25 करोड़ रुपए तक के) लोन की EMI नहीं चुका पा रहे हैं तो आप 31 सितंबर 2021 तक अपने बैंक से संपर्क कर सकते हैं। लोन रीस्ट्रक्चरिंग विकल्प पर बात कर सकते हैं। बैंक आपकी बची हुई लोन राशि, आपके रीपेमेंट ट्रैक रिकॉर्ड, आय आदि को ध्यान में रखते हुए आपका लोन रीस्ट्रक्चर कर सकता है। इसमें अधिकतम दो साल तक का EMI हॉलीडे या लोन रीपेमेंट पीरियड बढ़ाना शामिल है। पिछले मोरेटोरियम के लिए आवेदन करने की अवधि दिसंबर 2020 में खत्म हो गई थी। पर इस साल फिर लॉकडाउन लगा तो कई लोग EMI चुकाने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं। नई मोरेटोरियम पॉलिसी ऐसे लोगों के लिए राहत है और वे इसका लाभ उठा सकते हैं। जिन लोगों ने पिछले साल रीस्ट्रक्चरिंग का लाभ उठाया, वे भी नए मोरेटोरियम के तहत अपने लोन रीपेमेंट पीरियड को दो साल बढ़ा सकते हैं।
लेकिन, लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए आवेदन देने से पहले इतना ध्यान रखें कि

अगर आप बिना रीस्ट्रक्चरिंग के भी अपनी EMI को चुका सकते हैं तो रीपेमेंट पीरियड बढ़ाने या मोरेटोरियम की कतई न सोचें।

EMI हॉलीडे से लेकर रीपेमेंड पीरियड बढ़ाने तक का फैसला बैंक को होगा। रीस्ट्रक्चरिंग प्लान की शर्तें बैंक तय करेगा। जब वह आपको योग्य समझेगा, तभी रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को मंजूरी देगा।

रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को अंतिम हथियार के तौर पर चुनें। यह स्थायी राहत नहीं है। किसी भी मोरेटोरियम या रीपेमेंट पीरियड बढ़ाने का आवेदन करना आपके लिए महंगा साबित होगा क्योंकि इससे आपको अधिक ब्याज चुकाना होगा।

आप रीस्ट्रक्चरिंग प्लान ले रहे हैं तो पता कर लें कि आपको कितना ब्याज अतिरिक्त चुकाना होगा। उसे ध्यान में रखकर आप जल्द से जल्द उसका भुगतान करने की योजना बनाएं। इससे आपको अधिक ब्याज का भुगतान बैंकों को नहीं करना होगा।

अगर आपने होम लोन रीस्ट्रक्चर कराया तो कितना ज्यादा ब्याज चुकाना होगा?
अगर आप रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प चुनते हैं तो आपका रीपेमेंट पीरियड दो साल बढ़ जाएगा। यानी अगर 20 साल का लोन है तो 22 साल तक उसका रीपेमेंट करना होगा। अगर ब्याज दर 8% ही रहती है तो 25 लाख रुपए के बकाया पर आपको 3 लाख और 50 लाख रुपए के बकाया पर 6 लाख रुपए अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा। ब्याज दर और बकाया राशि के आधार पर आपके अकाउंट में लगने वाला अतिरिक्त ब्याज कम या ज्यादा हो सकता है। आपको यह भी देखना होगा कि बैंक आपको रीस्ट्रक्चरिंग के वक्त क्या ऑफर दे रहा है। यह ऑफर रीपेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट स्कोर और बकाया राशि के आधार पर अलग-अलग हो सकता है ।

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