टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरूआत जिला में 2 नवंबर तक चलाया जाएगा टीबी मुक्त भारत अभियान

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नारनौल, 19 अक्टूबर। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में टीबी के मरीज खोजने के लिए आज सिविल सर्जन डा. अशोक कुमार ने टीमों को रवाना कर टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरूआत की। यह अभियान 2 नवंबर तक चलाया जाएगा।
इस मौके पर उप सिविल सर्जन (टीबी) डा. हर्ष चौहान ने बताया कि 15 दिन तक चलने वाले इस अभियान के दौरान जिले की 10.15 लाख आबादी में से लगभग 5.25 लाख की आबादी में घर-घर जाकर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी। इस अभियान में आशा वर्कर, एएनएम व एमपीएचडब्ल्यू संभावित मरीजों के सैंपल लेंगे। उन्होंंने बताया कि एक मरीज खोजने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को पांच सौ रुपए दिए जाएंगे। इसके साथ ही पिछले साल खोजे गए टीबी के मरीजों का फॉलोअप भी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से 2025 तक टीबी यानी कि ट्यूबरक्लोसिस जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया गया है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के आधार पर अभियान चलाया जा रहा है। पहले चरण में टीबी के मरीजों को खोज निकालने और उनका उपचार शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन मरीजों तक पहुंचने का प्रयास है जो मरीज जांच केंद्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। इसमें शहर का स्लम एरिया, क्रेशर जोन, ईंट भट्टे, मजदूर कॉलोनी व उन गांवों को लिया गया है जहां टीबी मरीजों की संख्या 2 सालों में ज्यादा पाई गई है। उन्होंंने बताया कि इसमें पहले गांवों को टीबी मुक्त किया जाएगा उसके बाद ब्लॉक को व इसके बाद जिले को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा।
सरकार द्वारा भारत को टीबी मुक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें टीबी के प्रत्येक मरीज चाहे वो सरकारी अस्पताल से दवा ले रहा हो या प्राईवेट अस्पताल से उन्हें मुफ्त टीबी की दवा, मुफ्त बिगड़ी हुई टीबी की जांच, मुफ्त एचआईवी व शुगर की जांच नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रदान की जा रही है। इसके अलावा निक्ष्य पौषण योजना के तहत टीबी के ईलाज के दौरान प्रत्येक मरीज को 500 रुपए प्रतिमाह भी दिए जा रहे हैं।
श्री चौहान ने बताया कि इस अभियान में चार टीमें प्रतिदिन अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करेंगी। 19 अक्टूबर को नारनौल, महेंद्रगढ़, कनीना व अटेली क्षेत्र के स्लम, झुग्गी-झोपड़ी, मजदूर बस्ती, क्रेशर जोन में जाकर टीबी के संभावित मरीजों की पहचान की। टीम के सदस्य द्वारा मौके पर ही बलगम का सैंपल लेकर नजदीकी बलगम जांच केंद्र पर भेजते हैं और उसी दिन बलगम की जांच करके यदि टीबी पाई जाती है तो अगले दो दिनों मे उसका ईलाज शुरू कर दिया जाएगा।
इस मौके पर जिला क्षय रोग केंद्र चिकित्सा अधिकारी डा. अजय ग्रोवर, विकास ग्रोवर, भूपेंद्र सैनी, मनोज जांगड़ा, रविन्द्र यादव, एसटीएस विष्णु चौहान, रेखा, दीपक प्रकाश टीबीएचवी, मनोज कुमार एसटीएलएस, चिरंजी लाल, आशा वर्कर प्रीति, रीटा देवी, एएनएम सुनिता देवी व अन्य आशा वर्कर मौजूद थी।

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