किस मोड़ से गुजरा : कर्नाटक चुनाव परिणाम और उसका भारत की राजनीति पर असर

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किस मोड़ से गुजरा : कर्नाटक चुनाव परिणाम और उसका भारत की राजनीति पर असर

गौरव रक्षक/ दीप प्रकाश माथुर पूर्व (आर ए एस)

13 मई 20 23 का दिन ,देश के आगामी, “लोकसभा चुनाव” के लिए ऐक विशेष महत्व की तारीख मानी जा सकती है । कर्नाटक चुनाव परिणामों ने पूरे देश में राजनीतिक चर्चाओं को गरमा दिया है ।किसी एक राज्य के चुनाव परिणामों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति में पड़ने की संभावना साधारण तौर पर कम ही रहती है ,लेकिन कर्नाटक चुनाव परिणामों का राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा हर तरफ हो रही है ।
कांग्रेस ने अपने बूते पर ही कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है । साथ ही भाजपा का उम्मीद से कम प्रदर्शन होना चौंकाने वाला है । इन परिणामों को नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी की रराजनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है ।
कांग्रेस के लिए यह परिणाम उत्साहवर्धक है ,लेकिन भाजपा के लिए आत्ममंथन कर नई योजना बनाने का समय है । क्योंकि इस दिसंबर में राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,तेलंगाना ,छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं । इन चुनावों के लिए दोनों ही राष्ट्रीय दल अपने अपने तरीके से चुनावी मैदान में जाएंगे ,रणनीति के अनुसार कार्यक्रम तय करेंगे.
भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर इन विधानसभा चुनाव के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा । कर्नाटक चुनाव परिणाम का प्रभाव आगामी राजस्थान , छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश और तेलंगाना विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है।एक तरफ मध्यप्रदेश में भाजपा को अपनी सरकार बनाए रखने की चुनौती है दूसरी तरफ राजस्थान ,तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाने के लिए प्रयास करने होंगे ।
इन राज्यों के चुनाव परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव पर बड़ा असर डालेंगे ।इस कारण कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल इन विधानसभाओं में अपनी सरकार बनाने के पूर्ण प्रयास करेंगे ।
वर्तमान लोकसभा में राजस्थान ,उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,दिल्ली ,हरियाणा ,हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों की अधिकांश सीटों पर भाजपा का कब्जा है ,जिन्हें ना केवल बचाए रखना है अपितु जिन सीटों पर पहले विजय प्राप्त नहीं हुई है उन पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करना पड़ेगा ,साथ ही ,भाजपा को बिहार ,पश्चिम बंगाल ,उत्तर पूर्व, कर्नाटक ,महाराष्ट्र , तेलंगाना ,आंध्र प्रदेश में अपनी सीटों को बचाए रखने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी । साथ ही अन्य सीटों को जीतने के प्रयास भी करने होंगे ।वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति के परिवेश में देखा जाए तो ,नीतीश कुमार, सभी विपक्षी दलों को एक करने का प्रयास कर रहे हैं ।वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए विपक्षी दल एक हो जाएं इसमें कोई संशय नहीं रहता है। यदि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़ता है तो भाजपा को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा ।जिसे देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव दिलचस्प होने की संभावना है ।ऊंट किस करवट बैठेगा ,यह भविष्य के गर्त में छुपा है ।लेकिन इतना निश्चित है कि सभी राजनीतिक दल पूरी मेहनत के साथ सत्ता में आने का प्रयास करेंगे ,कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन यह नहीं मान सकता कि वह सत्ता में आ ही जाएंगे ।
भारतीय राजनीति में जातिवाद की भूमिका हमेशा से ही रही है ,इसलिए राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से जातिगत समीकरण बैठाने का प्रयास करेंगे ।
नीतीश कुमार अपने आप को राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं ।
शरद पवार ,तेजस्वी यादव ,ममता बनर्जी ,राजशेखर रेड्डी जैसै क्षेत्त्रिय नेता राष्ट्रीय नीति पर अपनी भूमिका बढ़ाने की कोशिश करेंगे ।आगामी लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम अन्य के रूप में देखा जा सकता है ।इसमें भाजपा,द्वारा मोदी सरकार की उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा ,साथ ही सरकार विरोधी दल इन उपलब्धियों को झुठलाने का प्रयास करेंगे । विपक्ष सरकार कि विफलताओं को बढ़ा चढ़ा कर ईन्हे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगे ।इन मुद्दों में बढ़ती महंगाई ,बेरोजगारी ,पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी ,व्यापारियों की नाराजगी ,बड़े उद्योगों एवं लघु उद्योगों की समस्या ,मजदूर , किसानों की समस्याओं ,आदि के संबंध में सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी । बच्चों में बढ़ते मादक पदार्थों के सेवन ,ऑनलाइन गैंबलिंग के बढ़ते चलन ,पॉर्नोग्राफी वीडियो कि आम बच्चों तक आसान पहुंच, जैसी समस्याओं के निराकरण पर सरकार को ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है ।
यह बात सही है कि किसी भी सरकार के लिए समाज के सभी वर्गों को खुश रखना आसान नहीं होता है ,लेकिन आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को मिल सकता है ।आगामी लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है ।राजनीति के धुरंधर अपनी-अपनी चालो को चलने का मन बना चुके हैं ।
कई नेता दलबदल का इंतजार कर रहे हैं ।मीडिया अपने अपने हिसाब से चुनाव के गणित मतदाताओं के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं ,लेकिन मतदाता चुनाव में क्या गुल खिलाता है ! यह चुनाव परिणाम आने पर ही स्पष्ट होगा।

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