संगम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का हुआ आगाज ,स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायकों का योगदान कलमबद्ध हो- प्रो.शुक्ला (कुलपति, एमडीएसयू अजमेर)

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संगम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का हुआ आगाज ,स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायकों का योगदान कलमबद्ध हो- प्रो.शुक्ला (कुलपति, एमडीएसयू अजमेर)

गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा

भीलवाड़ा,14 सितम्बर 2022

’’भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय क्षेत्र के जननायकों का अभूतपूवर् योगदान, इस क्षेत्र में अशिक्षा के कारण गुमनाम रहा। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ऐसे महान जननायकों के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को कलमबद्ध कर भावी पीढ़ी को उपलब्ध कराने की महती आवश्यकता है।’’ यह विचार स्थानीय संगम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड ह्यूमेनिटीज तथा अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में – ‘‘स्वातन्त्र समर में जनजातीय अवदान’’ विषयक दो दिवसीय सेमीनार के आज 14 सितम्बर 2022 को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो.अनिल कुमार शुक्ला, कुलपति,महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय,अजमेर ने व्यक्त किए।

संगम विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमीनार के विशिष्ठ अतिथि प्रो.कैलाश सोडानी,पूर्व कुलपति,गोविन्द गुरू आदिवासी विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा ने इस अवसर पर कहा कि देशवासियों में राष्ट्रीयता का भाव जगाने में गोविन्द गुरू जैसे जनजातीय नायकों के स्वतंत्रता समर के कृतित्व प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करते है। इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे डाॅ.एस.एन. मोदानी,प्रबंध निदेशक,संगम इंडिया लिमिटेड ने कहा कि वनवासी जीवन एवं उनके औद्योगिक प्रयासों को आर्थिक गति दिये जाने की आवश्यकता है। संगम विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट एवं कुलपति प्रो. करूणेश सक्सैना ने कहा कि जनजातीय इतिहास को वतर्मान दृष्टिकोण से मूल्यांकित किये जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर रूक्टा-राष्ट्रीय के महामंत्री डाॅ.सुशील कुमार बिस्सु ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र की मानगढ़ धाम जैसी घटनाएं तथा गोविन्द गुरू जैसे जननायको के तेज को जगाकर जनमानस में स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सेनानियों के प्रति श्रद्धा जाग्रत करने की आवश्यकता है। अंग्रेजो से लडने वाले तिलका मांझी जैसे अनेकों जनजातीय नायकों का परिचय भारतीय इतिहास को समृद्ध करने में सक्षम है। डा.कश्मीर भट्ट ने इस संगोष्ठि की वैचारिक भूमिका पर प्रकाश डाला। संगोष्ठि समन्वयक डा. रजनीश शर्मा जल,जीवन, जंगल के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम् योगदान को रेखांकित करने हेतु इस संगोष्ठि की उपादेयता स्पष्ट की। समारोह का संचालन सह अधिष्ठाता डाॅ.निधि भटनागर ने किया तथा आभार रजिस्ट्रार प्रो.राजीव मेहता ने व्यक्त किया।

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