आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव घर-घर तिरंगा अभियान
गौरव रक्षक/दीप प्रकाश माथुर
जयपुर 2 अगस्त ।
15 अगस्त 2022; को हमारा देश आजादी के 75 वर्ष ,पूर्ण कर रहा है. देश के, नागरिकों का सौभाग्य है ;कि इस वर्ष 13 अगस्त से 15 अगस्त तक ;घर घर, “तिरंगा फहराने” का अभियान चलाने का निश्चय किया गया है. जिसमें 20 करोड़ों घरों, में तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा गया है. इस साल तिरंगा फहराने के लिए ,कुछ औपचारिकताओं में ढील दी गई है. पहले सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही ;तिरंगा फहराने की, अनुमति थी ,किंतु इस साल ,दिन रात तिरंगा फहराने की अनुमति दी गई है.
हमारा राष्ट्रीय ध्वज, तीन रंगो ;हरा ,सफेद और केसरिया रंगों की, क्षेत्रीज पट्टीयो से बना हुआ है .सफेद पट्टी में नीले रंग का चक्र बना हुआ है ,जिसमें 24 धारियां, बनी हुई है. हमारे तिरंगे की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है, जो 2:3 के अनुपात में है.
भारत की संविधान सभा में “22 जुलाई 1947” को हमारे तिरंगे झंडे को, “राष्ट्रीय ध्वज” के रूप में मान्यता दी. हमारे तिरंगे की विकास यात्रा ;छह चरणों में पूरी हुई .जो निम्न प्रकार से है.
(1) हमारा प्रथम चित्र ध्वज ;वर्ष 1904 में, “स्वामी विवेकानंद जी” की शिष्य “भगिनी निवेदिता” द्वारा बनाया गया था. 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के, पारसी बागान चौक, ग्रीन पार्क में ,कांग्रेस अधिवेशन के दौरान, यह ध्वज फहराया गया था. इस ध्वज में लाल, पीले और हरे रंगों को क्षेत्रीज पटिया बनी हुई थी. सबसे ऊपर, हरे रंग की पट्टी बनी हुई थी, जिसमें 8 कमल बने हुए थे. नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चांद अंकित किए गए थे. तथा बीच की पीली पट्टी में “वंदे मातरम” शब्द अंकित था.
(2) हमारे राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा का, द्वितीय पढ़ाव; वर्ष 1907 में, देखने को मिला, जब पेरिस में, मैडम कामा और उनके स्वतंत्रता संग्राम के साथियों ने यह झंडा फहराया. यह झंडा 1904 में कोलकाता में फहराए गए ,झंडे से; थोड़ा सा अलग था. इसमें, ऊपर की हरी पट्टी, में केवल एक कमल था तथा 7 तारे बने हुए थे. जिन्हें सप्तऋषियों; का प्रतीक माना गया. यही झंडा, बाद में बर्लिन में हुए, समाजवादियों के सम्मेलन में भी फहराया गया था .
(3) हमारे राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा में, तीसरा पड़ाव, वर्ष 1917 में देखने को मिला ;जब डॉक्टर एनी बेसेंट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने घरेलू शासन; अर्थात “होमरूल मोमेंट” के दौरान, झंडा फहराया था. इसमें पांच लाल, और चार हरि क्षेत्रीज, पटिया थी ;यह पटिया, एक के बाद एक ,बनी हुई थी तथा, इसमें सप्त ऋषि विन्यास ,में सात तारे ,बने हुए थे. इसके ऊपरी किनारे पर “यूनियन जैक” बना हुआ था .तथा दूसरे कोने पर चांद और सितारे बने हुए थे .
(4) राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा: में चौथा पड़ाव, वर्ष 1921 मैं “विजयवाड़ा” में देखने को मिला .यहां एक युवक ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में ध्वज फहराया था . जिसे बाद में; उसने “महात्मा गांधी” को सौंप दिया .यह झंडा लाल और हरे रंग में बना हुआ था ;जो भारत के दो प्रमुख समुदाय हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व माना गया था . लाल रंग ,हिंदू समुदाय का प्रतीक माना गया और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतीक माना गया, इस झंडे को देखने के बाद महात्मा गांधी के सुझाव पर अन्य समुदाय के प्रतिनिधित्व के तौर पर, सफेद रंग को शामिल किया गया. सफेद पट्टी में चरखा बनाया गया. आगे जाकर, रंगों की सांप्रदायिक धारणा, को समाप्त कर दिया गया.
(5) राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा में पांचवा पढ़ाव ;वर्ष 1931 में देखने को मिला. यह झंडा 1921 में फहराए गए , झंडे से काफी कुछ समानता लिए हुए थे. पूर्व में जिन रंगों को, विभिन्न धर्मों के प्रतीक के रूप में माना गया था , उस धारणा को इस अधिवेशन के दौरान वापस ले लिया गया. पट्टी में अंकित अशोक चक्र की जगह चरखा को रखा गया था .
(6) भारतीय तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता दी . इसमें चरखे की, जगह “अशोक चक्र” को सम्मिलित किया गया तबसे ,आज तक यही “तिरंगा” हमारी आन, बान और शान का प्रतीक बना हुआ है.
भारतीय तिरंगे के निर्माण ,के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं .यह मानक बहुत ही कड़े हैं .इनमें सबसे प्रमुख यह है; कि केवल, खादी या हाथ से बने हुए कपड़े को ही; तिरंगा बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है. कपड़े की बुनाई भी, सामान्य बुनाई से ,अलग होती है. प्रकार की बुनाई करने वाले; कुछ ही लोग देश में है. “धारवाड़” के निकट “गटक” और कर्नाटक के निकट “बागल क्षेत्र” मैं ही “तिरंगे की खादी” तैयार होती है. “हुबली” में एक लाइसेंस प्राप्त संस्था है, जहां से ;झंडा उत्पादन और उसकी आपूर्ति की जाती है.
भारतीय तिरंगे के लिए; आम जनता से ,बहुत अपेक्षाएं ,रखी गई हैं. झंडे पर ,किसी भी प्रकार का चित्र बनाना, अथवा कुछ भी अंकित करना, अपराध माना गया है .किसी भी गाड़ी के पीछे बोट , एयरप्लेन में ,तिरंगे को चित्रत करना गलत है. किसी भी बिल्डिंग, को तिरंगे से ढक कर रखना, गैरकानूनी है. तिरंगे को जमीन पर ,टच नहीं किया जा सकता है, इसे तिरंगे का अपमान माना जाता है. अन्य झंडे को, तिरंगे के ऊपर अथवा ऊंचा नहीं लगाया जा सकता है; और ना ही, इसके बराबर कोई झंडा लगाया जा सकता है.
आम नागरिक को , 22 दिसंबर 2002; के बाद अपने घरों में ,आम दिनों में ,तिरंगा झंडा फहराने, की अनुमति दी गई.
- 🇳🇪 राष्ट्रपति भवन में स्थित संग्रहालय ,में एक ऐसा लघु तिरंगा है ,जिसे सोने के स्तंभ पर, हीरे जवाहरात मैं जड़कर बनाया गया है.
हमारे देश में 21 फीट ×14 फीट के विशाल, तिरंगे झंडे ,तीन स्थानों ग्वालियर किले के पास; कर्नाटक के नारगुंड, किले पर तथा महाराष्ट्र में ,पन्हाला किले पर फहराए जाते हैं .
भारतीय तिरंगे के बारे में; देश के प्रथम प्रधानमंत्री ,”पंडित जवाहरलाल नेहरू” ने कहा था कि, “तिरंगा” ,ना केवल देश की स्वतंत्रता का प्रतीक है ;अपितु सभी नागरिकों के लिए ,स्वतंत्रता का प्रतीक भी है .
भारतीय तिरंगे में शामिल ,”केसरिया रंग” साहस और त्याग का प्रतीक है. इसी प्रकार, “सफेद रंग” इमानदारी, शांति और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है .यह देश में शांति बनाए रखने के महत्व को दर्शाता है .”हरा रंग” आस्था और शिष्टता का प्रतीक माना गया है. यह समृद्धि ,जीवंतता और जीवन का प्रतीक माना गया है .”सफेद रंग” में अंकित “अशोक चक्र” कानून का पर्याय माना गया है. जो देश में कानून के राज्य का प्रतीक है.
तिरंगा ध्वज की आचार संहिता ÷
हमारा तिरंगा ;राष्ट्र की शान ,का प्रतीक है. हर भारतीय द्वारा, इसका सम्मान किया जाना, आवश्यक है .राष्ट्रीय ध्वज के संबंध में ,क्या किया जाए अथवा ना किया जाए ,इसके बारे, में आचार संहिता बनी हुई है .जो निम्न प्रकार से है .
●जब राष्ट्रीय ध्वज, फहराया जाता है, तब “केसरिया रंग” की पट्टी, सबसे ऊपर होनी चाहिए.
● किसी भी, ध्वज या प्रतीक को ,राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर या उसके दाहिने और ,नहीं रखना चाहिए .
●अन्य सभी ध्वज को, राष्ट्रीय ध्वज के, बाईं तरफ रखा जाना चाहिए. यदि उन्हें एक पंक्ति में रखा जाना आवश्यक हो.
● जब राष्ट्रीय ध्वज, को किसी, जुलूस या परेड में फहराया जाता है ,तो यह मार्चिंग , दाहिनी और ,या लाइन के केंद्र के सामने होगा, यदि वहां अन्य ध्वज की कोई पंक्ति है तो .
●आमतौर पर राष्ट्रपति भवन ,संसद भवन, सर्वोच्च न्यायालय ,उच्च न्यायालय आदि महत्वपूर्ण सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना चाहिए.
● राष्ट्रीय ध्वज या उसकी किसी भी ,नकल का उपयोग, व्यापार, व्यवसाय या पैशे के, उद्देश्य के रूप ,में नहीं किया जा सकता है. हमारा ,तिरंगा हमारी आन ,बान और शान का प्रतीक है. हम सब, मिलकर ,”घर-घर तिरंगा अभियान” के तहत ,13 अगस्त से 15 अगस्त तक ,अपने अपने घरों में “तिरंगा” फहराकर ,राष्ट्र भक्त होने का परिचय दें .
“जय भारत”