राजस्थान पुलिस द्वारा न केवल पेशेवर एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किया जा रहा है, बल्कि अनुसंधान में लगने वाले औसत समय में भी व्यापक तौर पर कमी लाई गई है 

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राजस्थान पुलिस द्वारा न केवल पेशेवर एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किया जा रहा है, बल्कि अनुसंधान में लगने वाले औसत समय में भी व्यापक तौर पर कमी लाई गई है

गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान से राजस्थान में सजा की दर में वृद्धि ।

गौरव रक्षक राजेंद्र शर्मा/

12 अप्रैल जयपुर

प्रदेश में राजस्थान पुलिस द्वारा पेशेवर एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान करने के परिणाम स्वरूप विभिन्न अपराधों में आपराधिक अपराधियों को सजा की दर में आशातीत वृद्धि हुई है एवं अधिकांश आपराधिक मामलों में राजस्थान में सजा की दर राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2020 में हत्या के मामलों में सजा की दर का राष्ट्रीय औसत 44.1 प्रतिशत रहा,जबकि राजस्थान में हत्या के मामलों में सजा की दर 59.7 प्रतिशत है। इसी प्रकार हत्या के प्रयास के मामलों में सजा की दर राष्ट्रीय औसत 24.8 प्रतिशत से की तुलना में राजस्थान में 55.8 प्रतिशत है। बलात्कार के मामलों में राजस्थान में सजा की दर 45.4 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 39.3 प्रतिशत है। समस्त शरीर संबंधी अपराधों में राष्ट्रीय औसत 38.9 प्रतिशत की तुलना में राजस्थान में सजा की दर 56.8 प्रतिशत है।

महिला अत्याचार से संबंधित प्रकरणों में राजस्थान में सजा की दर 47.5 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 29.8 प्रतिशत है। बच्चों के विरुद्ध अपराध के तहत राष्ट्रीय औसत 45.1 प्रतिशत की तुलना में राजस्थान में सजा की दर 58.4 प्रतिशत है। इसी प्रकार वृद्धजन के विरुद्ध अपराध प्रकरणों में राजस्थान में सजा की दर 71.2 प्रतिशत रही, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धजन के विरुद्ध अपराध मामलों में सजा की दर मात्र 31.2 प्रतिशत रही। अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध मामलों में राजस्थान में 48.7 प्रतिशत मामलों में सजा हुई, जबकि राष्ट्रीय औसत 42.4 प्रतिशत ही है। अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध के मामलों में राजस्थान में सजा 43.2 प्रतिशत रही, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 28.5 प्रतिशत है।

राजस्थान अपराध की दृष्टि से तुलनात्मक रूप से शांत प्रदेश हैं। यहां वर्ष 2020 में प्रति एक हजार वर्ग किमी में 565 अपराध हुए, जबकि राष्ट्रीय औसत 1294 अपराध है। प्रति एक लाख

जनसंख्या पर यहां अपराध दर 246 और राष्ट्रीय औसत 314 है। विशाल भूभाग के कारण यहां थानों के नियंत्रण क्षेत्र 383 वर्ग किमी राष्ट्रीय औसत 194 से लगभग दुगना है।

राजस्थान पुलिस द्वारा दुष्कर्म के प्रकरणों के अनुसंधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वर्ष 2021 के दौरान पॉक्सो एक्ट के 4 मामलों में मृत्युदण्ड, 35 मामलों में आजीवन कारावास एवं 510 पॉक्सो एक्ट प्रकरणों में अपराधियों को सजा सुनाई गई है। गम्भीर प्रवत्ति के मामलों को राजस्थान पुलिस द्वारा केस ऑफिसर स्कीम में लेकर हिनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट द्वारा निगरानी की जा रही है। आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी से लेकर अनुसंधान शीघ्र पूर्ण कर कोर्ट में चालान पेश करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लोक अभियोजक की नियुक्ति, पीड़ित परिजनों की काउंसलिंग,एफएसएल से रिपोर्ट प्राप्त करने तथा कोर्ट में साक्ष्य व साक्षी प्रस्तुत कर दोषियों को कठोर दंड दिलवाने के लिए राजस्थान पुलिस हरसंभव प्रयास कर रही है।

राजस्थान पुलिस द्वारा न केवल पेशेवर एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किया जा रहा है, बल्कि अनुसंधान में लगने वाले औसत समय में भी व्यापक तौर पर कमी लाई गई है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में वर्ष 2018 में औसत अनुसंधान समय 211 दिन था, जो कम होकर वर्ष 2019 में 140, वर्ष 2020 में 117 और वर्ष 2021 में घटकर 86 दिन रह गया है। इसी प्रकार एससी एसटी अत्याचार के मामलों में औसत अनुसंधान समय वर्ष 2018 में 223 दिन, वर्ष 2019 में 153, वर्ष 2020 में 142 और वर्ष 2021 में कम होकर 97 दिन रह गया है। औसत अनुसंधान समय में कमी लाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि अपराधियों को समय पर सजा मिल सकें। पॉक्सो अदालतें लगातार दुष्कर्मियों के विरुद्ध सख्त सजा का ऐलान कर रही है। पुलिस की प्रभावी एवं त्वरित कार्यवाही  के परिणाम स्वरूप महिलाओं और बच्चियों के विरुद्ध दर्ज गंभीर प्रकृति के अपराधों में न्यायालयों द्वारा दोषियों को कठोर कारावास से लेकर मृत्यु दंड तक की सजा से दंडित किया जा रहा है।

पेशेवर एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान

के साथ ही राजस्थान पुलिस द्वारा आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रोएक्टिव कार्यवाही भी की जा रही है।

प्रोएक्टिव कार्यवाही के तहत निरंतर राज्य स्तर तथा स्थानीय स्तर पर विशेष अभियान संचालित किए जा रहे हैं। विशेष रूप से महिला एवं बालिका अत्याचार से संबंधित मामलों में जन जागरूकता के लिए भी अनेक अभिनव कार्य प्रारंभ किए गए हैं। प्रोएक्टिव कार्यवाही के तहत एक्साइज एक्ट, आर्म्स एक्ट तथा एनडीपीएस एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष बल दिया जा रहा है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में वर्ष 2021 में एक्साइज एक्ट के तहत कुल 18 हजार 870 मामलों में कार्यवाही की गई, जो पिछले वर्ष से 9.7 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार आर्म्स एक्ट के तहत वर्ष 2021 में 5 हजार 357 मामले दर्ज कर नियमानुसार कार्यवाही की गई और अवैध हथियार जब्त किए गए। इसी प्रकार एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 2 हजार 989 कार्यवाही कर गत वर्ष से 9 प्रतिशत अधिक कार्यवाही की गई। एनडीपीएस एक्ट के तहत गत वर्ष की तुलना में कुल 29 प्रतिशत अधिक आरोपी गिरफ्तार किए गए। एनडीपीएस एक्ट में वर्ष 2021 में 588 किलोग्राम अफीम, 61.4 किलोग्राम हेरोइन 14.47 किलोग्राम चरस, 11 हजार 187 किलोग्राम गांजा, 1 लाख 23 हजार 371 किलोग्राम डोडा पोस्ट जब्त किए गए। साथ ही नशीली दवाइयों की कुल 45 लाख गोलियां, 54 लाख कैप्सूल और 14 हजार 300 इंजेक्शन भी जब्त किए गए।

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पहल पर प्रदेश में प्रारंभ निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था से दर्ज अपराधों की संख्या में तो वृद्धि हुई है, लेकिन इससे समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्तियों विशेष रूप से महिलाओं का परिवाद दर्ज करने का हौसला निरंतर बढ़ रहा है। पुलिस द्वारा किया जा रहा अनुसंधान एवं अपराध रोकने के लिए की जा रही प्रोएक्टिव कार्यवाही आमजन के सकारात्मक सहयोग से ही सफल हो सकती है।

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