मां सरस्वती ने आज भारत से अपनी सुर रंगनी को वापस अपने पास बुला लिया संपूर्ण भारत आपको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है
गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा
6 फरबरी मुब्बई :- लता मंगेशकर का संपूर्ण जीवन परिचय
भारतरत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं। उनकी आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। उनकी आवाज को लेकर अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी कह दिया कि इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न कभी होगी। पिछले 6 दशकों से भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दे रहीं लता मंगेशकर बेहद ही शांत स्वभाव और प्रतिभा की धनी हैं। भारत के क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर उन्हें अपनी मां मानते हैं। आज पूरी संगीत की दुनिया उनके आगे नतमस्तक है।
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर हुआ। इनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक भी थे इसलिए संगीत इन्हें विरासत में मिली। लता मंगेशकर का पहला नाम ‘हेमा’ था, मगर जन्म के 5 साल बाद माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया था। लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं। मीना, आशा, उषा तथा हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। इनके जन्म के कुछ दिनों बाद ही परिवार महाराष्ट्र चला गया।
लता ने केवल 5 साल की उम्र में ही अपने पिता के मराठी संगीत नाट्य में कार्य किया। 1942 में इनके पिता की मौत हो गई। इस दौरान ये केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की।
लता मंगेशकर ने अपने संगीत सफर की शुरुआत मराठी फिल्मों से की। इन्होंने मराठी फिल्म ‘किटि हासल’ (1942) के लिए एक गाना ‘नाचुं या गडे, खेलूं सारी मनी हस भारी’ गाया, मगर अंत समय में इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया। इसके बाद विनायक ने नवयुग चित्रपट की मराठी फिल्म ‘पहली मंगला गौर’ (1942) में कार्य किया और फिल्म में गाना ‘नातली चैत्राची नावलाई’ गाया।
इन्होंने हिन्दी भाषा में पहला गाना ‘माता एक सपूत की ‘दुनिया बदल दे तू’ मराठी फिल्म ‘गाजाभाऊ’ (1943) के लिए गाया। इसके बाद लता मंगेशकर मुंबई चली गईं। यहां उन्होंने हिन्दुस्तान क्लासिकल म्यूजिक के उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया। लता मंगेशकर ने अपने संगीत करियर की शुरुआत मराठी फिल्मों से की। इसके बाद इन्होंने विनायक की हिन्दी फिल्मों में छोटे रोल के साथ-साथ हिन्दी गाने तथा भजन गाए। इसी दौरान उनकी मुलाकात वसंत देसाई से हुई।
1947 में भारत बंटवारे के बाद उस्ताद अमानत अली पाकिस्तान चले गए। लता ने उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, पंडित तुलसीदास शर्मा तथा अमानत खान देवसल्ले से संगीत सीखा। 1948 में विनायक की मौत के बाद गुलाम हैदर लता के संगीत मेंटर बने। हैदर ने लता की मुलाकात शशधर मुखर्जी से कराई, जो ‘शहीद’ फिल्म बना रहे थे। उन्होंने लता की ज्यादा पतली आवाज होने के कारण उन्हें अपने फिल्म में गाने का मौका नहीं दिया।
हैदर ने लता को ‘मजबूर’ (1948) फिल्म में पहला ब्रेक दिया। लता पहले नूरजहां की स्टाइल में गाने गाती थीं, मगर बाद में खुद की आवाज बना ली। उस समय के ज्यादा हिन्दी सिनेमा के संगीतकार हिन्दी के अलावा उर्दू शब्द का प्रयोग ज्यादा करते थे। दिलीप कुमार ने भी लता को हिन्दी-उर्दू गाने में मराठी टोन प्रयोग करते सुना था जिसके बाद लता ने उर्दू शिक्षक से उर्दू भाषा की शिक्षा प्राप्त की।
1949 में आई फिल्म ‘महल’ में मधुबाला के लिए गाया हुआ एक गाना काफी लोकप्रिय हुआ। वह गाना था- ‘आएगा आने वाला…’। 1950 में लता ने कई संगीतकारों के साथ गाने गाए जिसमें अनिल बिश्वास, शंकर-जयकिशन, नौशाद अली, एसडी बर्मन, मदन-मोहन सहित कई दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया। 1955 में लता ने तमिल फिल्मों के लिए गाने गाए।
लता ने नौशाद के लिए रागों पर आधारित कई गाने गाए जिसमें बैजू बावरा (1952), मुगल-ए-आजम (1960), कोहिनूर (1960) मशहूर फिल्में हैं। शंकर-जयकिशन के साथ आग, आह (1953), श्री 420 (1955), चोरी-चोरी (1956) कई गाने गाए। लता मंगेशकर एसडी बर्मन की सबसे पसंदीदा गायिका थीं। उन्होंने साज़ा (1951), हाउस नं. 420 (1955) और देवदास (1955) जैसी फिल्मों के लिए गाने गाए। इसके बाद लता और बर्मन में अनबन हो गई जिसके कारण लता ने 1972 के बाद बर्मन के लिए कभी गाने नहीं गाए।
लता मंगेशकर ने पहली बार 1958 में बनी ‘मधुमती’ के लिए सलिल चौधरी द्वारा लिखे गए गीत ‘आजा रे परदेशी’ के लिए ‘फिल्म फेयर अवार्ड फॉर बेस्ट फिमेल सिंगर’ का अवॉर्ड जीता। 1950 से पहले लता ने सी. रामचंद्र के लिए कई गाने गाए।
1960 में लता मंगेशकर ने कई लोकप्रिय फिल्मों के लिए गाने गाए, जो काफी हिट हुए और आज भी गाए जाते हैं। जिसमें ‘मुगल-ए-आजम’ (1960) के लिए ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960) के लिए ‘अजीब दास्तां है ये’, एसडी बर्मन के लिए भूत बंगला (1965), पति-पत्नी (1966), बहारों के सपने (1967) तथा अभिलाषा (1969) जैसी फिल्मों के लिए गाए। इसी दौरान उन्होंने ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘गाता रहे मेरा दिल’ (किशोर कुमार के साथ), ‘पिता तो’ और ‘होंठों पर ऐसी बात जो छुपाती चली आई’ जैसी लोकप्रिय गाने गाए।
1961 में लता ने लोकप्रिय भजन ‘अल्लाह तेरो नाम’ और ‘प्रभु तेरो नाम’ जैसे भजन गाए वहीं 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में देश का सबसे जीवंत गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया। इस गाने के बाद नेहरूजी की आंखों से आंसू बह निकले थे। लता ने 1960 से लेकर 1980 के दौरान कई संगीतकारों के साथ काम किया और कई हिट गाने गाए जिसमें मदन-मोहन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, सलिल चौधरी तथ हेमंत कुमार के साथ कई बंगाली व मराठी गाने भी गाए।
लता ने 1960 के बाद से कई गायकों के साथ गाने गाए जिसमें मुकेश, मोहम्मद रफी, मन्नाडे, महेन्द्र कपूर और किशोर कुमार शामिल हैं। लता और रफी में गाने की रॉयल्टी को लेकर मनमुटाव हो गया था जिसको संगीतकार जयकिशन ने दूर किया।
1972 में लता ने मधुबाला के लिए ‘पाकीज़ा’ में ‘चलते-चलते’ और ‘इन्हीं लोगों ने’, प्रेम पुजारी के लिए ‘रंगीला रे’, शर्मीली के लिए ‘खिलते हैं गुल यहां’, अभिमान के लिए ‘पिया बिना’, परिचय के लिए ‘बीती ना बिताई’, नीलू के लिए ‘कादली चेनकादली’, कोरा कागज के लिए ‘रूठे-रूठे पिया’, सत्यम शिवम सुंदरम के लिए ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, रुदाली के लिए ‘दिल हूम-हूम करे’ तथा फिल्म दस्तक, हीर-रांझा, दिल की राहें, हिन्दुस्तान की कसम, हंसते जख्म, मौसम, लैला-मजनूं, अमर प्रेम, कारवां, कटी पतंग, आंधी सहित कई फिल्मों के लिए लोकप्रिय गाने गाए और कई तरह के अवॉर्ड जीते।
1980 में लता ने सिलसिला, फैसला, विजय, चांदनी, रामलखन और मैंने प्यार किया जैसी हिट फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। 1990 में उन्होंने आनंद-मिलिंद, नदीम-श्रवण, जतिन-ललित, दिलीप-समीर सेन, उत्तम सिंह, अनु मलिक, आदेश श्रीवास्तव तथा एआर रहमान जैसे संगीतकारों के साथ काम किया और जगजीत सिंह, एसपी बालसुब्रमण्यम, उदित नारायण, हरिहरन, कुमार शानू, सुरेश वाडकर, मो. अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, रूपकुमार राठौड़, विनोद राठौड़, गुरदास मान तथा सोनू निगम के साथ कई गाने गाए।
लता ने यशराज फिल्म्स की लगभग सभी फिल्मों के लिए गाने गाए जिसमें चांदनी, लम्हें, डर, ये दिल्लगी, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, मुझसे दोस्ती करोगे और वीर-जारा फिल्म शामिल हैं। लता ने एआर रहमान के साथ ‘जिया जले’, ‘खामोशियां गुनगनाने लगी’, ‘एक तू ही भरोसा’, ‘प्यारा सा गांव’, ‘सो गया है’, ‘लुक्का-छिपी’ और ‘ओ पालनहार’ जैसे गाने गाए।
लता मंगेशकर भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए 1969 में पद्मभूषण, 1999 में पद्मविभूषण, 1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 1999 में महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, 2001 में भारतरत्न, 3 राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, 12 बंगाल फिल्म पत्रकार संगठन अवॉर्ड तथा 1993 में फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित कई अवॉर्ड जीत चुकी हैं। लता ने 1948 से 1989 तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं, जो एक रिकॉर्ड हैं।