प्रदेश में उच्च शिक्षा के हालात दिनों दिन चिंताजनक हाेते जा रहे हैं। ऐसे में साफ ताैर पर काॅलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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प्रदेश में उच्च शिक्षा के हालात दिनों दिन चिंताजनक हाेते जा रहे हैं। ऐसे में साफ ताैर पर काॅलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

प्रदेश में उच्च शिक्षा के हालात दिनों दिन चिंताजनक हाेते जा रहे हैं। ऐसे में साफ ताैर पर काॅलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह इसलिए क्योंकि प्रदेश में 338 राजकीय काॅलेज संचालित हैं, जहां 44 विषयों में पढ़ाई कराई जाती है, सरकार और उच्च शिक्षा विभाग ने वहां 6968 पदाें की स्वीकृतियां ताे दी है, लेकिन हकीकत में वहां आज भी 2711 पद खाली पड़े हुए हैं। जाे कार्यरत हैं उसमें भी 117 शिक्षक ताे संविदा कार्मिक हैं, जिनके भरोसे उच्च शिक्षा के विषयों की कमान साैंप रखी है।

सरकार की नीति पर सवाल इसलिए भी उठते हैं कि पहले से काॅलेजाें में इतने पद खाली हैं, फिर भी इस सरकार ने अपने कार्यकाल में 88 नए काॅलेज खाेल दिए हैं। जहां न पढ़ने के लिए जमीन है और न पढ़ाने वाला काेई शिक्षक। जबकि इन काॅलेजाें में प्रवेश प्रक्रिया में सैकड़ाें विद्यार्थी शामिल हाे चुके हैं।

395 सहायक आचार्य, सह आचार्य व व्याख्याता की नौकरी कहीं, काम दूसरी जगह

प्रदेशभर में 395 की संख्या के करीब सहायक आचार्य, सह आचार्य, व्याख्याता ऐसे हैं जिनका मूल पद कहीं और है व काम कहीं और कर रहे हैं। यानि ये सभी शिक्षक प्रतिनियुक्तियाें पर चल रहे हैं। इस कारण काॅलेजाें सबजेक्ट एक्सपर्ट के पद खाली पड़े हैं। इसमें से भी 50 कार्मिक ताे ऐसे हैं जाे किसी दूसरी काॅलेज में नहीं बल्कि आयुक्तालय में डेपुटेशन के नाम पर डेरा जमा के बैठे हैं।

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