बीजेपी ने तोड़ा रुपाली नागर का प्रधान बनने का सपना…
जयपुर पंचायत समिति चुनाव: रुपाली नागर जीतीं, लेकिन नहीं बनेंगी प्रधान, BJP को बहुमत
सीएम अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाने वाले जयपुर के दूदू से निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर की बहू रूपाली चुनाव तो जीत गईं, लेकिन उनका प्रधान बनने का सपना टूट गया.
राजस्थान के छह जिलों में हुए पंचायतीराज चुनाव के नतीजे आने लगे हैं. जयपुर पंचायत समिति चुनाव की तस्वीर भी साफ होने लगी है. सीएम अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाने वाले जयपुर के दूदू से निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर के बेटे विकास नागर और बहू रुपाली नागर चुनावी मैदान में थे. विकास नागर जिला परिषद सदस्य और रूपाली नागर पंचायत समिति सदस्य के तौर पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. जयपुर में सबसे चर्चित चेहरों में से एक रूपाली नागर का प्रधान बनने का सपना टूट गया. रूपाली चुनाव तो जीत गई, लेकिन जयपुर पंचायत समिति में भाजपा को बहुमत हासिल हुआ.
इस चुनाव में गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर की बहू रूपाली नागर के अलावा एडिशनल एसपी रहे अनिल गोठवाल के बेटे अभिषेक गोठवाल भी मैदान में थे. उन्होंने माधोराजपुरा पंचायत समिति के वार्ड 5 से जीत हासिल की. वहीं आरएएस अफसर हरसहाय मीणा की पत्नी सुनीता मीणा ने बी जमवारामगढ़ पंचायत समिति से निर्दलीय चुनाव जीत लिया है. वह अब प्रधान पद की दावेदार मानी जा रही हैं.
◼️17 में से 14 सीटों पर बीजेपी ने हासिल की जीत-
मौजमाबाद की 17 सीटों में से 14 पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने अपनी जीत हासिल की. वहीं कांग्रेस के दो और निर्दलीय एक उम्मीदवार भी जीते. दरअसल, परिसीमन के बाद मौजमाबाद को नई पंचायत समिति बनाया गया था. चुनाव के ऐलान के बाद रूपाली को यहां से प्रधान पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा था. खुद बाबूलाल नागर ने चुनाव की कमान संभाल रखी थी. अब माना जा रहा है कि रूपाली की हार के बाद बाबूलाल नागर को बड़ा झटका लगा है. विधायक नागर की इस क्षेत्र में पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. नागर के बेटे विकास भी चुनावी मैदान में हैं. माना जा रहा है कि जल्द उस सीट का भी रिजल्ट आ जाएगा.
राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, सवाई माधोपुर और दौसा समेत 6 जिलों में तीन चरणों में पंचायतीराज चुनाव के लिए मतदान हुए. मतगणना सभी संबंधित जिला मुख्यालयों पर सुबह 9 बजे शुरू हो गई. चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के साथ नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी चुनाव मैदान में मुकाबले में है. इन छह जिलों में गहलोत सरकार के दो मंत्रियों और करीब एक दर्जन विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.