कोटा के जेके लोन अस्पताल मैं 7 साल में 7563 बच्चों की मौतों के कारण अस्पताल लाइलाज हो चुका है लापरवाह सिस्टम के कारण कहीं माताओं की कोख उजड़ चुकी है 7 साल बदलते रहते हैं लेकिन धरा और व्यवस्था नहीं बदल रही है अस्पताल में हर वर्ष औसत 1000 बच्चों की मौत हो रही है पिछले साल पिछले 7 सालों में हर साल 900 से 12 साल बच्चों की उपचार के दौरान मौत हो चुकी है 7 सालों में कुल 7563 बच्चों की मौत इस अस्पताल में हो चुकी है सरकार किसी भी पार्टी की हो लेकिन मौत के कारणों का स्थाई समाधान करने के बजाय सियासत ही होती रहती है इसको प्रबंधन के कारण पिछले साल जेके लोन अस्पताल पूरे देश में सुर्खियों में आ गया था
ऐसे सुर्खियों में आया अस्पताल
पिछले साल 2019 के दिसंबर माह में 48 घंटे में 10 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर मामला गूंजा था बच्चों की मौत के कारण जानने के लिए बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया था दिल्ली से सांसदों का दल भी आया था सरकार तक हड़कंप मच गया था मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री चिकित्सा मंत्री प्रभारी मंत्री व स्वास्थ्य मंत्रालय की टीमें आई थी
उपकरणों व स्टाफ का रोना
अस्पताल में पिछले साल नवजात शिशुओं की मौत होने के बाद उपकरणों व स्टाफ की कमी सामने आई थी उसके बाद सरकार व जन सहयोग से उपकरणों की व्यवस्था की गई बावजूद अस्पताल प्रशासन उसे सही तरीके से संभाल नहीं पाया अस्पताल में अभी भी 100 के करीब उपकरण खराब पड़े हैं डाक्टरों के पद भी खाली हैं पहले असिस्टेंट प्रोफेसर व सीनियर रेजिडेंट के पद तो भरे लेकिन प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को नहीं भरा गया वर्तमान में प्रोफेसर के तीन स्वीकृत पदों में से एक ही है एसोसिएट प्रोफेसर 4 में से एक कार्यरत है इन पर 230 बच्चों का भार है
यह है मौत का आंकड़ा
वर्ष मौत
2014 – 1198
2015 – 1260
2016 – 1193
2017 – 1027
2018 – 1005
2019 – 963
2020 – 10 दिसम्बर तक 917
रिपोर्ट;-शिव कुमार शर्मा