केलवाड़ा क्षेत्र के जंगल सरकारी दस्तावेज में भले ही सुरक्षित वन घोषित है ।

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रिपोर्ट- राजेन्द्र मेहता

केलवाड़ा क्षेत्र के जंगल सरकारी दस्तावेज में भले ही सुरक्षित वन घोषित है । लेकिन खंडेला नाका के दर्जनों गांवों में ग्रामीणों द्वारा वन भूमि पर अवैध तरीका से कब्जा कर उस भूमि पर खेती की जा रही है। विभाग द्वारा वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में कोई कारगर पहल नही किया जा रहा है । खंडेला नाका में पदस्थापित वनपाल तो सब कुछ जानते हुए अनजान बने हुए हैं ।

खंडेला नाका क्षेत्र के कालीमाटी, गोरधनपुरा, राधापुरा, जनकपुर,रामपुर तोड़िया,माधापुरा ,जेतपुरा ,खंडेला, हलावनी, खेड़ला, डबका,आदि गांवों के ग्रामीण जंगल को काटकर उस पर अवैध तरीका से कब्जा कर खेती कर रहे हैं। साथ ही वन भूमि पर ही दर्जनों गृह निर्माण किया गया है । स्थानीय गांवों के ग्रामीणों द्वारा कई बार विभाग को इस संबंध में सूचना दिया गया, फिर भी वन विभाग के पदाधिकारी मौन साधे हुए हैं । विभागीय लापरवाही व उदासीनता के कारण जंगल के हरे-भरे पेड़ पौधा की धड़ल्ले से कटाई की जा रही है, साथ ही वन भूमि पर अवैध कब्जा भी किया जा रहा है । जंगल के जमीन पर ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण करने की होड़ मची है।वनपाल की मिलीभगत से अपने चहेतों को वन भूमि पर अवैध कब्जा करा रहे है अभी तक कोई कार्यबाही नही की गई वनपाल को फोन पर शिकायत करने के बाबजूद अपने चहेतों के ट्रेक्टरों को नही पकडा जा रहा हैं।

माधोपुरा में फॉरेस्ट भूमि पर करा दी है बिजली कनेक्शन शिकायत के बाद फिर भी वनपाल नहीं कर रहा है कार्रवाई प्लांटेशन के बीच में होकर ठेकेदार द्वारा नई बिजली लाइन के खंभे गाड़ दिए गए हैं ।

खंडेला में चल रहा है अवैध खनन
खनन माफियाओं द्वारा खंडेला में जंगल से पत्थर व मोरम के ट्रैक्टर ट्रॉली द्वारा भरकर लाई जा रही है। शिकायत के बावजूद भी नाका प्रभारी के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

वही वन विभाग के केलवाड़ा रेंज अधिकारी तरुण सिंह रावत का कहना है की विभाग जल्द उन लोगों के प्रति सख्त करवाई की जायेगी।
तरुण सिंह रावत क्षेत्रीय वन अधिकारी केलवाड़ा

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