करेन्सी नोट व्यापारियों के लिए घातक।

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⚫संक्रमण फेलाने में सबसे ज्यादा योगदान इन करेंसी नोटों की वजह से।

व्यापारियों को किया अनुरोध की digital transaction को बनाये जरिया।

रिपोर्ट- डॉ आदित्य नाग

  दुनियाभर में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है. कोरोना का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फ़ैलता है. ऐसे में सभी लोग अन टच चीजों और सुविधाओं को पसंद और अपना रहे है.
लेकिन करंसी नोट जो एक हाथ से दूसरे हाथ तक जाता है, उससे संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है.
डॉ आदित्य नाग, राष्ट्रिय उपाध्यक्ष कैट ने बताया कि डिजिटल लेनदेन (Digital Transaction) की प्रवृत्ति बढ़ने के बावजूद आज भी बड़ी संख्या में लोग नकदी नोट में लेनदेन कर रहें हैं और करते है.
इससे सबसे ज्यादा खतरा व्यापारियों को है.
लिहाज़ा व्यापारियों को जागरूक होना पड़ेगा और कैट ने पूर्व में भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या वाकई करेंसी नोट संक्रमण फैलता है कि नहीं।

डॉ आदित्य नाग ने बताया कि फुटकर व्यापारी और निचले स्तर पर चल रहे व्यापार को डिजिटल लेनदेन में लाने में थोड़ा समय जरूर लगेगा।
परन्तु ऐसे व्यापारी जो समझ कर भी रोज़मारह का व्यापार करेन्सी नोट या सिक्कों द्वारा कर रहे हैं उनको ये सोचना होगा कि वो इस महामारी में संक्रमण चेन को मजबूत कर रहे है और इस वजह से वो स्वयं तो संक्रमित हो रहे है साथ में परिवार और समाज को भी इस महामारी की कड़ी का हिस्सा बना रहे हैं। डॉ नाग ने सभी व्यापर मण्डल के अध्यक्ष एवं महासचिव को अपील की है कि व्यापारियों को जागरूक करें और इस डिजिटल ट्रांजीशन मिशन को आगे बढ़ाएं।
डॉ आदित्य नाग ने बताया कि व्यापारी वर्ग शुरू से ही काफी समझदार है, और सहयोगी रहा है। ये समय की सभी व्यापारी इस संकट की घड़ी को देखते हुए डिजिटल लेनदेन को अपनाए और ग्राहकों को भी जागरूक करें।
राष्ट्रिय महिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती सीमा सेठी ने बताया कि अगर व्यापारी जागरूक हुए तो निश्चित रूप से समाज का हर छोटा और बड़ा वर्ग जागरूक होगा।

कैट ने साल 2015 के बाद हुए तीन स्टडी रिपोर्ट का हवाला देकर मांगा जवाब

कैट प्रेसिडेंट बी सी भरतिया और सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने साल 2015 में किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि नोटों और सिक्कों के जरिये वायरस, फंगस और बैक्टीरिया फैलता है. साल 2016 में तमिलनाडु में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि 86.4 फीसदी करंसी नोट कई बीमारियों को फैला रहे है. इन नोटों को डॉक्टरों, बैंकों, बाज़ारों, कसाईखानों, छात्रों और गृहणियों से कलेक्ट किया गया था. साल 2016 में एक अन्य कर्नाटक में किये गए अध्ययन में पाया गया कि 100,50,20 और 10 रुपये के 100 नोटो में से 58 नोट संक्रमित थे!

प्रवीण खंडेलवाल , राष्ट्रिय महामन्त्री ने बताया:–

कैट पिछले तीन वर्षों से कह रहा है की करेन्सी नोटों के ज़रिए वाइरस एवं बैकटेरिया फैलता है जो व्यापारियों के लिए सबसे घातक है , अब इसमें कोरोना भी शामिल हो गया है किंतु व्यापारी समझते नहीं की नोटों का लेन-देन हमको कितनी संक्रामक बीमारियाँ दे जाता है ।

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