हवाई जहाज से उड़कर आए श्रमिक बोले लगता है जैसे कोई सपना देखा हो

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रिपोर्ट:-उमा विसेन
रायपुर छत्तीसगढ़ 5 जून 2020
हवाई जहाज से उड़कर आए श्रमिक बोले लगता है जैसे कोई सपना देखा हो
179 श्रमिक बेंगलुरु से रायपुर फ्लाइट से पहुंचे , बेंगलुरु और हैदराबाद के पूर्व अधिवक्ता छात्रों ने उठाया संपूर्ण खर्च

आसमानी सफर से जमीन पर उतरे श्रमिक के कदम भले ही एयरपोर्ट के निकास द्वार की ओर बढ़ रहे थे लेकिन निगाहें रह-रह कर हवाई जहाज की ओर मुड़ रही थी जहाज का सफर सपने जैसा लग रहा था किसी के पैर में हवाई चप्पल तो किसी के सिर पर गृहस्ती के सामान की बोरी, माता-पिता के पीछे नंगे पैर चलते बच्चे यह किसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड का दृश्य नहीं बल्कि यह नजारा गुरुवार को रायपुर के विवेकानंद एयरपोर्ट पर दिखाई दिया जब सुबह 10:00 बजे बेंगलुरु से श्रमिकों को लेकर एक विशेष विमान द्वारा एयरपोर्ट पर पहुंचा, फ्लाइट से रायपुर पहुंचे श्रमिकों के बच्चों की खुशी तब तो और बढ़ गई जब उन्हें जांच के बाद उपहार दिए गए l गौरतलब है कि कर्नाटक और तेलंगाना में छत्तीसगढ़ श्रमिक फसे थे इन्हें  विशेष विमान के द्वारा गुरुवार को सुबह रायपुर एयरपोर्ट पहुंचाया गया  मजदूरों की हवाई टिकट का संपूर्ण खर्च बेंगलुरु और हैदराबाद के पूर्व छात्रों ने  किया था
इसमें महिला पुरुषों के अलावा उनके बच्चे भी शामिल थेl
भगवान का लाख-लाख शुक्र है –
महासमुंद निवासी राजकुमार पुरी ने बताया कि वह अपने दो बच्चों के साथ काम की तलाश में बेंगलुरु गया था उसी दौरान लॉक डाउन लागू हो गया और सभी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई राजकुमार ने बताया कि उनकी पत्नी नहीं है इसके कारण बच्चों को संभालना मुश्किल था, यह तो भला हो जिन्होंने हमें अपने निवास तक पहुंचाने का बीड़ा उठायाl

रायपुर पहुंचे अवधेश बंजारे ने बताया कि वे जांजगीर के रहने वाले हैं और बेंगलुरु में फस गए थे वहां फैक्ट्री में काम करते थे इन 2 महीनों में कई दिन भूखे ही रहना पड़ा, ऐसे समय में ही पूर्व छात्र छात्राओं की संस्था के सदस्यों से मुलाकात हुई और आज हम वापस आ सके हैं l
बेंगलुरु से रायपुर फ्लाइट से पहुंचे श्रमिकों और उनके परिवारों की फ्लाइट का संपूर्ण खर्च बेंगलुरु और हैदराबाद के पूर्व 9 छात्र-छात्राओं की संस्था ने उठाया, इनमें से कुछ छात्र राजकुमार कॉलेज के 2008 के बैच के छात्र रहे हैं श्रमिक बलौदाबाजार पेंड्रा महासमुंद पामगढ़ जांजगीर चांपा मरवाही सरगुजा नारायणपुर आदि क्षेत्रों के हैं l
पैर में चप्पल और सिर पर गृहस्ती की बोरी लिए विमान से बाहर निकलती महासमुंद की सतना यादव कभी एयरपोर्ट को तो कभी हवाई जहाज को निहारती रही, वह बोली कि यकीन ही नहीं हो रहा है कि हम रायपुर पहुंच गए हैं, वहां काम ना होने से 2 महीने से हमारी भूखों मरने की नौबत आ गई थी, मैं बार-बार धन्यवाद देती हूं जिन्होंने हमारी इस दयनीय परिस्थितियों में सहायता का बीड़ा उठाया l

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