बग्घी वाले का बेटा, 17 साल में हत्या का आरोप, 5 बार विधायक… आलीशान जिंदगी जीता था, माफिया अतीक अहमद की जिंदगी का खेल एक मिनिट में खत्म..

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बग्घी वाले का बेटा, 17 साल में हत्या का आरोप, 5 बार विधायक… आलीशान जिंदगी जीता था, माफिया अतीक अहमद की जिंदगी का खेल एक मिनिट में खत्म..

गौरव रक्षक/ झांसी राजकुमार यादव

(अतीक की स्टोरी)
माफिया अतीक अहमद और उसके बाई अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई है । अतीक अहमद 5 बार विधायक और एक बार सांसद रहा था । 17 साल की उम्र में पहली बार अतीक अहमद पर हत्या का आरोप लगा था । अतीक के भाई अशरफ के खिलाफ भी कई आपराधिक मामले दर्ज थे ।
गया । फिर क्या था, दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गई । इस गैंगवार में चांद बाबा मारा गया था । अतीक अहमद का सबसे बड़ा दुश्मन चांद बाबा रास्ते से हट चुका था । इसके कुछ ही घंटों बाद चुनाव के नतीजे भी आ गए और अतीक विधायक चुन लिया गया था ।

पूरा परिवार अपराध जगत का खिलाड़ी-

इसके बाद अतीक अहमद लगातार क्राइम की दुनिया तेजी से बढ़ता गया । अतीक पर 101 आपराधिक मामले दर्ज थे । अतीक ने अपनी पूरी फैमली को क्राइम की दुनिया में उतार लिया था। उसके भाई अशरफ अहमद पर 52 मामले दर्ज थे। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन पर 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अतीक अहमद के बेटे असद के खिलाफ भी एक केस दर्ज था.

सियासत में चमका अतीक-
साल 1989 में निर्दलीय विधायक चुने जाने को बाद अतीक अहमद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । वो लगातार 5 बार विधायक चुना गया। अतीक पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी से विधायक चुना गया । इसके बाद अतीक ने साल 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और जीत हासिल की. साल 1996 में अतीक अहमद ने विधानसभा का चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और फिर से विधायक चुना गया। लेकिन जल्द ही समाजवादी पार्टी से उसकी दूरियां बढ़ने लगी ।

 

अतीक ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया और साल 1999 में अपना दल में शामिल हो गया। अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा । लेकिन हार का सामना करना पड़ा। साल 2002 में अपना दल ने अतीक को इलाहाबाद पश्चिमी से चुनाव मैदान में उतारा । इस चुनाव में अतीक अहमद को फिर से जीत हासिल हुई । साल 2003 में यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी । तो अतीक समाजवादी हो गया। साल 2004 में फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
जब साल 2007 में मायावती की सरकार बनी तो अतीक अहमद पर कानूनी शिकंजा कसा। अतीक के खिलाफ लगातार मुकदमें दर्ज होने लगे । अतीक अहमद फरार हो गया । पुलिस ने उसपर 20 हजार रुपए का इनाम रख दिया. इसके बाद अतीक को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया । साल 2014 लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद को श्रावस्ती से चुनाव लड़ाया गया । लेकिन इस बार हार का सामना करना पड़ा. साल 2019 में अतीक अहमद ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
अतीक अहमद के वकील के मुताबिक, दोनों को 10 से ज्‍यादा गोलियां लगी हैं साथ ही उन्‍होंने कहा कि हत्‍या के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है ।
माफिया अतीक अहमद और अशरफ की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई है । दोनों को पुलिस मेडिकल के लिए प्रयागराज मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची थी, जहां पर उन्‍हें गोली मार दी गई ।

आखिरकार एक बड़े अपराधी का 1 मिनट में खेल खत्म हो गया लेकिन सवाल ये उठता है हमारे समाज को और जागरूक लोगों को यह सोचना चाहिए कि ऐसे बड़े अपराधियों की जड़े कौन सींचता और किसने सींची थी अतीक अहमद की जड़े इस ओर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है । ताकि भविष्य में ऐसे किसी बड़े अपराधी का पुनर उदय ना हो सके ।

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